" देश में व्याप्त सामाजिक,राजनीतिक विसंगतियों को उखाड़ फेँकने में ही आजादी के अमृत महोत्सव की सार्थकता है! " : सिद्धेश्वर"
आज़ादी नई पीढ़ी से अपनी गरिमा बचाने और मर्यादित आचरण की अपेक्षा रखती है।": डॉ आरती कुमारी
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अमृत महोत्सव के माध्यम से देश की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के सही मायने बताने की जरूरत!: आराधना प्रसाद
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पटना : देश की आजादी का 75 वर्ष की स्वर्णिम यात्रा एक सुखद अहसास करा जाती है l 15 अगस्त हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनता रहा है l मुक्ताकाश और खुली हवा में सांस लेने का अहसास हमारे भीतर हमेशा नई ऊर्जा का संचार करता रहा है l हम अपने देश की आजादी के लिए गौरवान्वित महसूस करते रहे हैं l जिसका सारा का सारा श्रेय हमारे उन महापुरुषों पर जाता है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सारा जीवन होम कर दिया और देश के लिए अपना प्राण निछावर कर दिया उन्होंने हमारे देश की आजादी का राह प्रशस्त किया ,सारा का सारा श्रेय देश की आजादी के लिए लड़ रहे उन वीर जवानों औऱ वीर सपूतों को भी जाता है, जिनकी शहादत की बदौलत हम खुद को आजाद भारत का नागरिक कहने में गर्व महसूस करते हैं l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में, आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर,गूगल मीट पर ऑनलाइन साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका प्रसारण फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर भी हुआ l संगोष्ठी के संयोजक और संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने विषय प्रवर्तन करते हुए उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l उन्होंने कहा कि - इस आजादी के जश्न का मतलब भी हमें समझना होगा l सिर्फ तिरंगा लहराने से,आजादी के मधुर गीत गाने से,आजादी पर ढेर सारी शब्दों का पुल बांधने से हमारे कर्तव्य का इतिश्री नहीं हो जाता l हम अपने देश में व्याप्त सामाजिक,राजनीतिक विसंगतियों को उखाड़ फेकेंगे,तभी आजादी के अमृत महोत्सव की सार्थकता है l देश के अमर शहीद, अमर जवानों की कुर्बानियों को याद कर, देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, व्याप्त कुरीतियों, व्याप्त सांप्रदायिक विसंगतियों को मिटा सकने में सफल होंगे,तभी देश की आजादी का सही आकलन हो सकेगा औऱ देश की आजादी के अमृत महोत्सव की सार्थकता भी इसी में है l "
पूरी साहित्य संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ आरती कुमारी ने कहा कि - "आज़ादी का मतलब है समान अधिकार, आज़ादी का मतलब है उन अधिकारों का सदुपयोग और अपने कर्तव्यों का सही प्रकार से निर्वहन। आज़ादी परिपक्वता और गंभीरता की मांग करती है। आज़ादी नई पीढ़ी से अपनी गरिमा बचाने और मर्यादित आचरण की अपेक्षा रखती है। उससे अपने गौरवशाली इतिहास को याद रख वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को आत्मसात करने की चाहत रखती है। वह सत्य अहिंसा और मानवता जैसे मानवीय मूल्यों के साथ प्रगति की राह दिखाती है। माना कि अभी भी हमारे समाज मे विद्रूपताएं व्याप्त हैं । भ्रष्टाचार, भूख गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य समस्याएं, भ्रूण हत्या और न जाने कितनी समस्याएं हैं, किंतु आज़ादी स्वच्छन्दता व उच्छृंखलता नहीं कि हम दूसरों की आज़ादी का हनन करें, मनमर्ज़ियाँ करें। हमें आज यह चिंतन और विश्लेषण करने की ज़रूरत है कि आज़ादी के इतने साल बाद हम कहाँ खड़े हैं और आने वाले समय मे इसकी दशा और दिशा किस प्रकार बेहतर हो सके। एक साहित्यकार अपने कलम की रोशनी में दुनिया को सच्चाई दिखलाता है और समाज में चेतना भरने का कार्य करता है।
मुख्य अतिथि आराधना प्रसाद ने कहा कि -
आजादी के इस अमृत महोत्सव को मनाए जाने के कुछ कारण है। पहला यह कि भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। दूसरा यह कि देश को स्वतंत्र करने के लिए जिन राष्ट्र सपूतों ने बलिदान दिया और बहुत कष्ट सहे उन्हें याद करने का यह दिन है। तीसरा यह कि आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। इन कारणों से आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से उन सभी लोगों को स्वतंत्रता और लोकतंत्र के सही मायने बताने बहुत जरूरी है और साथ ही यह बताना भी जरूरी है कि इन 75 वर्षों में भारत ने क्या उपलब्धियां हासिल की हैं l "
विशिष्ट अतिथि प्रख्यात गीतकार डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना ने कहा कि - आज हमारा देश शिक्षा,भूख, संप्रदायिकता, असमानता जैसी समस्याओं से उलझा हुआ है l झूठ और मिथ्या पर आधारित है आज की आजादी, यह हमारे लिए दुर्भाग्य है l हमें अपने गौरवान्वित इतिहास को दोहराना होगा, तभी आजादी के अमृत महोत्सव की उपयोगिता सिद्ध हो सकेगी l
विशिष्ट अतिथि खंडवा मध्य प्रदेश के डॉ शरद नारायण खरे ने कहा कि - आजादी का अमृत महोत्सव चिंतन औऱ वैचारिकता को लेकर आया है l हमें सोचना होगा कि आज हमारे देश में जो सामाजिक और आर्थिक और असमानता है नैतिक मूल्यों का ह्रास है, क्या ऐसा ही स्वप्न देखा था हमारे अमर शहीदों ने? इस उत्सव से हमें यह शिक्षा मिली है कि नैतिक राजनीतिक मूल्यों को केवल खुशियां मनाने से पूर्ति नहीं की जा सकती, उसके लिए हमें देश में व्याप्त अराजकता और असमानता को मिटाना होगा l "
विशिष्ट वक्ता लोकनाथ मिश्र ने कहा कि -" 15 अगस्त राष्ट्रीयता, मानवता, प्रखरता, संवेदना, साहस और संकल्प जैसे भावों को प्रतिष्ठित करने वाला पर्व है। शहीदों के प्रति हमारे सम्मान की अभिव्यक्ति का यह दिन है। हम संकीर्णता से ऊपर उठें, आपस में प्रेम से रहें, अपनी जिम्मेदारी को समझें और विश्व बंधुत्व की भावना से समाज को देखें। अगर हम ऐसा करते हैं तो यह आजादी की सच्ची अभिव्यक्ति होगी और वीर शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजली l"
डॉ आरती कुमारी ने -जिगर से हम सिपाही हैं क़लम हथियार है अपना,जला दें सच की लौ दिल में वही अशआर लिक्खेंगे!"/ आराधना प्रसाद ने - प्रसीद हो प्रसीद हो, सुरम्य नव विहान हो ।उमंग अंक-अंक हो,समष्टि दीप्तिमान होl"/डॉ पूनम सिन्हा श्रेयसी ने - मयस्सर जहां पर अमन है,चमन है,वही तो हमारा वतन है वतन है!"/ सिद्धेश्वर ने -" जाति,धर्म से बड़ा देश का मान- सम्मान है!, मातृभूमि के लिए मर मिटे वही सच्चा इंसान है!"/ राज प्रिया रानी ने - जो राह कंटीले थे आजादी के
उन संघर्षों को आज भुनाते है,वीर लहू से भीगी बलिदानी
उस तिरंगे का वर्चस्व सुनाते हैं ।/ विजय कुमारी मौर्य ने - अलख जगाने आए हैं हम, भारत मां के रखवाले!, कफन बांध निकले हैं सिर पे,पी ले जहर भरे प्याले!"/ उजमा खान ने - देश भक्तों से ही देश की शान है,देश भक्तों से ही देश की आन है,हम उस देश की फूल है यारों,जिस देश का नाम हिन्दुस्तान है.!/
अभिनव राज ने - देश मेरा रंगीला सभी देशों से प्यारा!
मीना कुमारी परिहार ने - 75 वर्ष पूर्ण हुए आजादी के,मिलकर जश्न मनाएंगे! शहर शहर हर गांव और बस्ती में राष्ट्रध्वज फहराएंगे!"/ डॉ सुधा सिन्हा ने - झंडे को ऊंचा फहराना चाहता हूं, नील गगन में लहराना चाहता हूं l / पुष्प रंजन ने - जात पात का भेद ना हो अब, ना ऊंच-नीच का द्वेष रहे, भिन्न-भिन्न सबका भेष रहे पर दिल सबका एक रहे!"/ डॉ शरद नारायण खरे ने - ऐ सैनिक, फौजी, जवान है तेरा नित अभिनन्दन बी,,अमन-चैन का तू पैगंबर तेरा हैअभिवंदन !" / दुर्गेश मोहन ने - भारत के अभिमान जगत के!/ डॉ नीलू अग्रवाल ने- " देशभक्ति लिखनी है मुझे, देशभक्ति पढ़नी है मुझे,पर न जाने क्यों कुछ भी नहीं उगलती मेरी कलम,जाने कैसा भरम ? "
ऋचा वर्मा मैं अपनी एक कविता के बाद एक लघुकथा " शराबी " की सशक्त प्रस्तुति दी!इनके अतिरिक्त राज प्रिया रानी,संतोष मालवीय,अपूर्व कुमार, अकेला भाई, नूतन सिन्हा, की भी भागीदारी रही l
गूगल मीट के आरम्भ में संजीव प्रभाकर (गुजरात) की वीडियो प्रस्तुति - " जो परचम आसमा को छू रहा वो अपना तिरंगा है, हमारी आन, बान, शान का प्रतीक तिरंगा है l " प्रस्तुत की गई!
♦️ प्रस्तुति : ऋचा वर्मा ( सचिव ) एवं सिद्धेश्वर ( अध्यक्ष )/ भारतीय युवा साहित्यकार परिषद
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