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9/18/21

पिया मिलन की आस है, हृदय बसी यह चाह:- प्रो.मीना श्रीवास्तव'पुष्पांशी'

 

प्रो.मीना श्रीवास्तव'पुष्पांशी'

*दोहे*

*शीर्षक:-दुल्हन*


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माथे टीका सोहता, सजी - धजी यह आज।

दुल्हन बनकर जा रही, सखी करेगी राज।।


पहने नथ सुंदर लगे, झुमकी चमके वाह।

पिया मिलन की आस है, हृदय बसी यह चाह।।


नयनों में काजल लगा,होठ दिखे है लाल।

सजनी प्यारी लग रही,लाल हुऐ है गाल।।


आज बनी दुल्हन सखी,सपने लिये हजार।

घर में माँ हँसकर कहे, छाई बहुत बहार।।


हाथों में हथफूल हैं,  किया बहुत सिंगार।

देखो कैसा चमक रहा, पहना है गलहार।।

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