शीर्षक - तुम्हें ये गीत पॉप ही भाये
हम कितना बताये, तुम्हें समझ न आये ।
कोई बात पसंद नहीं आये , तुम्हें ये गीत पॉप ही भाये।।
हम कितना बताये-------------------।।
छोड़ देश का धर्म, तोड़ अपनी कसम,तु होके बेशर्म, कर रहा है जो कर्म ।
छोड़ सारी रस्में, अपने जीवन में, होके मन के वश में, कर रहा है अधर्म।।
तुम्हें राम की कहानी सुनाये, कोई बात पसंद नहीं आये, तुम्हें ये गीत पॉप ही भाये।
हम कितना बताये--------------------।।
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देख नीला आसमान, तोड़ बाप के अरमान, किया माँ का अपमान, भूल गया अहसान।
देख रंगीले मिजाज, छोड़ घर-ओ-समाज, बहिन भाई को नाराज, भूल गया ईमान।।
तुम्हें इनपे रहम नहीं आये,कोई बात पसन्द नहीं आये, तुम्हें ये गीत पॉप ही भाये।
हम कितना बताये--------------------।।
करके अमरीकी श्रृंगार, बनकै ब्रिटिशी नार, होके रंगीला सियार,तेरी बुश सी सरकार।
सुनकै तेरा वह किस्सा, हाथ ईश्वर ने खींचा,बंट गया सारा हिस्सा, अब है किसका इंतजार।।
देशभक्ति तुम्हें हम सुनाये, कोई बात पसंद नहीं आये , तुम्हें ये गीत पॉप ही भाये।
हम कितना बताये--------------------।।
करके काश्मीर राख, पंजाब में सुराख,राजस्थान में विनाश, छोड़ गया हिंदुस्तान।
करके हाथों तुने पाप, झूठी ऊंची करके नाक, सिर पे टोपी पहन पाक, बन गया तु शैतान।।
शहीदों की कुर्बानी याद दिलाये, कोई बात पसंद नहीं आये, तुम्हें ये गीत पॉप ही भाये ।
हम कितना बताये----------------------।।
रचनाकार एवं लेखक- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
पता- ग्राम - ठूँसरा ,पोस्ट--गजनपुरा
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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(पूर्णियां, बिहार)