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5/15/20

एक बच्ची की चीख:- By:- धीरज कुमार चौहान

एक बच्ची की चीख:- By:- धीरज कुमार चौहान
Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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शीर्षक:- एक बच्ची की चीख
एक बच्ची की चीख से देखो,
दहल गया है हिंदुस्तान,
लूट गई इज़्ज़त उसकी,
कैसे कह दे मेरा देश महान,
वो भारत जो हर बेटी को,
देवी दुर्गा लक्ष्मी माने,
वो भारत जो हर बेटी की,
इज़्ज़त की रखवाली ठाने,
उस भारत मे देखा मैंने इज़्ज़त, 
लुटती है सड़कों पर,
लानत है इस देश के जो, 
बड़बोले हैं उन मर्दों पर,
बस जला मोम सड़क पर,
जिम्मेदारी से है छिप जाना,
ऐसे समाज से भरे देश को,
अब यूं ही न महान बताना,
जात-पात के नाम पर हो तुम,
मिलकर चक्का जाम लगाते,
हिंदू-मुस्लिम कर इस देश को,
दीमक की भाँती हो खाते,
कितनी निर्भया आसिफ़ा जो,
इस दुनिया को छोड़ गई हैं,
उनकी चीखें हिंदुस्तान को,
भीतर तक झकझोर गई है।

हैदराबाद की प्रियंका भी,
बहुत सवाले छोड़ गई है,
कठुआ की एक बेटी,
सारी मानवता निचोड़ गई है,
अब भी ना संभले तो हम,
खुद में लड़-कट मर जाएंगे,
खुले दरिंदे देश की इज्जत,
नोच-नोच कर खा जाएंगे,
देश की नारी पूजी कम,
ज्यादातर मारी जाएगी,
आज उनकी तो कल,
तेरी भी बेटी की बारी आएगी।

शर्म करो तुम ओ दरिंदों,
क्या मानवता मर चुकी है!
तेरे घर भी आसिफा सी,
एक छोटी बेटी बैठी है,
शर्म करो तुम ओ दरिंदों,
क्या मानवता मर चुकी है,
तेरे घर भी निर्भया सी,
एक प्यारी बहना बैठी है,
रक्षा क्या तुम करोगे उनका,
खुद ही हवसी बन बैठे हो।

लूट के इज्जत एक बेटी की,
खुद को बाप और भाई कहते हो 
क्या तुझको इस नीच काम में,
अपने घर का याद ना आया।
उन बच्ची के चीखों ने तेरे, 
पत्थर दिल को ना पिघलाया,
कसम है हमको निर्भया और 
प्रियंका सी हर चीखों की,
हर बेटी के इज्जत खातिर जान 
अपनी लुटवा जाएंगे,
मानवता की रक्षा में हम, 
शीश भी कटवा जाएंगे।
बदल के सोच हम इस समाज के,
अच्छे देश की नींव रखेंगे,
हो हंसता बचपन निर्भय नारी,
तब इस देश को महान कहेंगे,
हर बेटी जब आधी रात भी खुले
सड़क पर टहल सकेगी,
तब आसिफ़ा सी हर बेटी के उन, 
चीखों को न्याय मिलेगी।
मस्तक ऊंचा हिंदुस्तान का,
उसको ना हम झुकने देंगे,
वादा है हर एक बिटिया से 
उनको अच्छा वतन हम देंगे।।
             ✍️धीरज कुमार चौहान
                 बीरपुर, सुपौल(बिहार)


💞 Sahitya Aajkal 💞
         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
        7562026066
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