रिश्तें
रिश्तों की महक है
रसोई के मसालों सी
कुछ तीखी, कुछ मीठी
तो कभी खट्टी मीठी
और फीकी सी
हर स्वाद का
अपना जायका,अपना स्वाद
हर रिश्ते का अपना ढ़ंंग,
अपनी रंगत
कोई किसी से कम नहीं
न कोई किसी से ज्यादा
बिल्कुल नमक की भांति
सधा हुआ,नपातुला
हर स्वाद का अपना नाम
अपनी पहचान
हर रिश्ते का अपना मान
अपना सम्मान
रिश्तों की एकता मॆं है
जीवन का सार
रसॊई कॆ मसालों मॆं है
जायकॊ का स्वाद
रिश्तों की गहराई ही है
सुखी परिवार का आधारll
✍️ डाॅ.नंदिनी शर्मा'नित्या'
छत्तीसगढ़
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