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1/3/22

आज की शिक्षित नारी:- कवि अरुण चक्रवर्ती

शीर्षक- आज की शिक्षित नारी


शिक्षित नारी  रोशनी घर की होती है

बिन सुने  सब तकलीफें  सुन लेती है 

बिन पढ़े  मजबूरियों  को पढ़ लेती है

शिक्षित नारी  रोशनी घर की होती है ।1।


नारी पूर्णा मलवथ  पर्वतारोही  कहलायी है

माना असहाय थी पर  शिक्षित कहलायी है

13 वर्ष उम्र में ये लम्बा  सफर कर आयी है

हिमालय चोटी, हिम वर्षा से कंहा घबराई है ।2।



सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा की मुहिम चलायी थी

तब  हर  महिला को  शिक्षित वो  कर  पायीं थी

माना उस समय छुआ छूत का दौर था,

फिर भी वो अपने परिश्रम से कंहा घबरायी थी

तब शिक्षा की क्रांति को स्थापित कर पायी थी ।3।


शिक्षित  नारी  भीका   कामा  जिसने  विदेश में भी..

भारत की पताका फैरायी थी

हँसा मेहता ने भी देश की हर नारी के लिए संविधान..

में जगह दिलाई थी

शिक्षा पे निर्भर हो के महादेवी कवयित्री कहलायी थी

सरोजिनी नायडू भारत की प्रथम गवर्नर कहलायी थी ।4।


आज की नारी फौजी बन दुश्मनों के छक्के छुड़ाती है

आज पुरुषों के कंधे से कन्धा मिलाकर चलती है

माँ बाप का सपना पूरा कर आसमानों तक पहुँचती है

आज की शिक्षित नारी हर क्षेत्र अपने कदम बढ़ती है5


आज की नारी बिल्कुल नही घबराती है 

शिक्षित हो कर ऊँचे शिखर पर जाती है

अपने कुल का नाम रोशन कर जाती है

शिक्षित नारी रोशनी घर की कहलाती है ।6।


रचनाकार-कवि अरुण चक्रवर्ती

गुरसहायगंज कन्नौज उत्तर प्रदेश

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