कविता: एक शहीद का पैगाम
शहीद का पैगाम
कभी तुम, शहीदों के घर आंगन जाकर देखना,
उनके दिलों की धडकनों को भी जरा टटोलना,
शहीद नहीं सोचता,जीता कभी अपने लिए,
जिसका दिल धड़के केवल वतन के लिए।
हे मां!सुन आया तेरे पास,मैं मांस का एक,
छोटा सा,निराकार,गुदगुदा सा लोथड़ा बनकर,
अपने अगाध प्रेम,ममता,त्याग से तराश,
साकार पेश किया,मुझे एक वीर बनाकर।
हे मां! मैंने खाई है जीने मरने की कसम,
मिट जाऊंगा पर,आंच न आने दूंगा तुझ पर,
दुश्मन के नापाक इरादों को समूल मिटा दूंगा,
लहू बहा मैं,अपने वतन का ऋण चुकाऊंगा।
हे मां!देख,बहुत खुशी का दिन है,आज,
मातृभूमि के लिए हो गया,मैं खुद कुर्बान,
चारों ओर हो रहा जगत में,तेरा ही गुणगान,
बढ़ाई मैंने,अपने वतन की आन, बान,शान।
आ रहा हूं,वतन,शान से तिरंगे में लिपट कर,
स्वागत कर मेरा मां, खुशी के आसूं लेकर,
आज मैंने दोनों मांओं का ऋण है चुका दिया,
वादा रहा,अगले जन्म फिर मैं वापस आऊंगा।
कभी न भूला मैं तेरी गोद,अपने बचपन को,
मां,आज मन करता है गहरी नींद में सोने को,
सातों जन्म लेने,फिर यहीं मैं वापस आऊंगा,
मां, तेरी व मातृभूमि की सेवा, रक्षा करूंगा।
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित,
कवयित्री:
डॉ बी. निर्मला,
मैसूर, कर्नाटक।
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस व्हाट्सएप नंबर 7562026066 पर मैसेज कर सम्पर्क करें।
Sahitya Aajkal:- एक लोकप्रिय साहित्यिक मंच 👇💞 Sahitya Aajkal Youtube Channel link plz Subscribe Now ...💞👇Sahitya Aajkal Youtube से जुड़ने के लिए यहाँ click करें
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस Whatsapp न0- 7562026066 पर भेज कर सम्पर्क करें।
कवि सम्मेलन की वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
यदि आप कोई खबर या विज्ञापन देना चाहते हैं तो सम्पर्क करें।
Email:- sahityaaajkal9@gmail.com
Whatsapp:- 7562026066
संस्थापक:- हरे कृष्ण प्रकाश
(पूर्णियां, बिहार)