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5/23/22

आओ बनाएँ स्वर्ग से सुन्दर धरा:- नीतू रानी

साहित्य आजकल द्वारा आयोजित "हम में है दम" कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। ज्ञात हो कि इस प्रतियोगिता कार्यक्रम में भाग लिए सभी रचनाकारों में जो विजयी होंगे उन्हें नगद पुरस्कार स्वरूप 101 रुपया, शील्ड कप और सम्मान पत्र उनके आवास पर भेज कर सम्मानित किया जाना है। इसी कार्यक्रम "हम में है दम" के निमित्त आज की यह रचना साहित्य आजकल के संस्थापक हरे कृष्ण प्रकाश के द्वारा प्रकाशित की जा रही है। साहित्य आजकल व साहित्य संसार दोनों टीम की ओर से आप सभी रचनाकारों के लिए ढेरों शुभकामनाएं। यदि आप भी भाग लेना चाहते हैं तो टीम से सम्पर्क करें। आशा है नीचे सम्पूर्ण रचना आप जरूर पढ़ेंगे व कमेंट बॉक्स में कमेंट करेंगे।


 शीर्षक-आओ बनाएँ स्वर्ग से सुन्दर धरा।

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आओ बनाएँ स्वर्ग से सुन्दर धरा

हम अपने धरा बनाएँ सुन्दर हरा- भरा।


मेरी धरा सा स्वर्ग भी नहीं है

यहाॅ॑ की मिट्टी सोने उगलती है,

यहाॅ॑ पर बहुत से पर्व -त्योहार होते हैं,

यहाॅ॑ पर उत्सव और धार्मिक संस्कार होते हैं,

यहाॅ॑ पर सभी के प्यार मिलते हैं

और उत्तम संस्कार मिलते हैं ,

यही हैं सुन्दर- सुन्दर तीर्थ

यहीं सभी नदियाॅ॑ बहती है।

मेरी धरा सा स्वर्ग भी नहीं है।


स्वर्ग में न कभी पूजा- पाठ होता है,

धरा पर निज रामायण पाठ होता है,

और धरा पर नित सत्संग जैसे ज्ञान यज्ञ होता है ,

समय -समय पर स्तुति ध्यान होता है,

ये सब  सुख स्वर्ग में कहाॅ॑ मिलता है।

मेरी धरा सा स्वर्ग भी नहीं है।


इसी धरा पर ऋषि -मुनियों ने लिया जन्म है,

इसलिए तो मेरी धरा स्वर्ग से नहीं कम है,

यहाॅ॑ पर देवता भी आने के लिए ललाईत हैं,

हम लोगों  का ऐसा सुंदर सुख देखकर 

देवता भी जलते हैं,

संत लोग  स्वर्ग पर खखार करते हैं,

स्वर्ग से भी बड़ा एक अपवर्ग है,

जो करता है अच्छा कर्म

उसी को अपवर्ग मिलता है।

मेरी धरा सा स्वर्ग भी नहीं है।


अगर अपने धरा को 

स्वर्ग से अच्छा बनाना चाहते हैं

तो करो सबकी सेवा,

ससमय करो ईश्वर की पूजा

रखें सब जीवों पर दया,

छोड़ो अंधविश्वास और छल कपटी माया,

तभी होगें तेरे ऊपर परम प्रभु की असीम दया।

आओ बनाएॅ॑ स्वर्ग से सुन्दर धरा।

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नीतू रानी ,

       पूणि॔यां बिहार।

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