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शीर्षक:-जब धरा पर बिछी अंगारे हों By:- हरे कृष्ण प्रकाश
अपने देश को सुरक्षित करने में,
अपने पथ पर चलने में,
बाधाएं आती हैं तो आएं,
सर पर पहाड़ टूटे तो टूट जाएं।।
जब धरा पर बिछी अंगारे हों,
तब भी अपने पांव में ना छाले हों,
तब भी अपने पांव में ना छाले हों
जब धरा पर बिछी अंगारे हों।।
परिस्थितियों से अब ना घबराना होगा,
डटकर हमें उसका सामना करना होगा,
बढ़ते कदमों को और द्रुतगति देना होगा,
हँसते हँसते बाधाओं से लड़ना होगा।।
कदम से कदम मिलाकर,
एक दूजे के साथ चलना होगा,
जब धरा पर बिछी अंगारे हों,
तब भी अपने पांव में ना छाले हों।।
✍️@ हरे कृष्ण प्रकाश
( पूर्णियाँ, बिहार)
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