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।। शिकार।।
पिटारा रिश्तों का बंद ही रखा है हमने,
खुलते ही जाने कितना वहम निकलेगा।
मुंसिफ बन तफ़्तीश का मजा लेते हैं सब,
हर शख्स इन आंखों से गुनहगार निकलेगा।
रोक रहे राहें हमारी बनकर सब अदु* यहां
हौसला देखना हमारा बेशुमार निकलेगा।
फरेब ने बना लिया है एहसासों में जाल,
मधु ... ...हर इंसा यहां शिकार निकलेगा।
✍️ मधु वैष्णव"मान्या"
जोधपुर राजस्थान
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