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5/30/20

मजदूर की व्यथा-कथा - By:- डा. के. के. चौधरी

मजदूर की व्यथा-कथा - By:- डा. के. के. चौधरी
Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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शीर्षक:- मजदूर की व्यथा-कथा -

तुम सितार के तार  बजा कर, नित खुद का मन बहलाते।
हम मिहनत-कश अब घाम बहा, हीरे मोती उपजाते।

तुम सोते सुख महलों में, अपनों से लिपटे-सिमटे।
हम भूमि बिछा आकाश ओढ़, रहते सबसे हिलमिल के।

जीवन का उद्देश्य फकत क्या, खुद को ही सुखी बनाना?
या फिर औरों के सुख-दुख में, मिल स्नेहिल-दीप जलाना?

अनमोल बड़ा मानव जीवन, मालिक की दया निराली।
इस नेमत का मूल्य न समझे, समझो वही मवाली।

खुद खाते तुम मौज मनाते, दूजे को देख न पाते
दु:खियों के दुख के भीतर तुम, अब झांक कभी न पाते।

बड़े भाग मानुष तन पावा, गोस्वामी जी भी बोले।
बड़ा अभागा है वह मानव, जो मर्म न इसका खोले

अब तुम समझो याकि ना समझो, यह कलमकार का मत है।
दीन दुखी के आँसू में ही, वो राम रहीम बसत है।
                   ✍️ डा. के. के. चौधरी
                            पूर्णियाँ, बिहार
           


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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
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5/13/20

अर्जित मजदूरी से तुम -By:- कुमार सौंदर्य


शीर्षक:- मजदूर -By:- कुमार सौंदर्य

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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औरंगाबाद में 16 मजदूरों के असामयिक निधन से दिल मर्माहत है। उनकी श्रद्धांजलि अर्पण हेतु दो शब्द....

शीर्षक:- मजदूर -By:- कुमार सौंदर्य

   तुम्हारी कोई सुधि नहीं लेता
   और न ही कोई याद करता है।
   तुम यदि न रहो,
   घर, मकान और महल,
   शायद नहीं बन पाएगा किसी का।

   तुम हीं करते हो,
   उनके घरों को रोशन,
   तुम हो तो खुशहाल है,
   अमीरों का जीवन।।
   तुम्हारे रहने से ही
   क्रियाशील होते हैं...
   उद्योग-धंधे और भी बहुत कुछ,
   क्या तुम्हें मन मुताबिक
   मिलती है मजदूरी ???
   शायद 'नहीं'... ...

   अर्जित मजदूरी से तुम,
   पूरी कर पाते हो
   अपनी जरूरतें??
   शायद'नहीं'... ...
   विपत्ति की घड़ी में तुझे,
   अमीर, मालिक और सरकार,
   करती है सहायता??
   शायद'नहीं'... ...
   फिर भी तुम अनवरत
   अविराम संलग्न रहते हो।।
   वास्तव में तुम जैसे श्रम-साधकों को
   आराम कहां, विश्राम कहां!!
   आज तुम नहीं रहे
   क्या वे... ...
                      ✍️कुमार सौंदर्य
                  भवानीपुर, पूर्णिया(बिहार)

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