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5/22/20

बिहारी मजदूर -By:- मदन मुरारी मोहन

शीर्षक:- बिहारी मजदूर  -By:- मदन मुरारी मोहन
Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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( वोट देने के लिए क्या बस हम बिहारी थे और
    फिर हम बिहार के लिए बीमारी हो गए )

शीर्षक:- बिहारी मजदूर

मजदूर से मौत का सफर,
इतना आसान नहीं था,
जाना था दूर गांव लेकिन
कोई इंतजाम नहीं था।
कैसे रहते यहाँ साहब..? बूढ़ी माँ,
गर्भवती पत्नी और छोटे मासूम के
खाने-रहने का इंतजाम जो नहीं था,
सरकार बेफिक्र थी अब उसे मेरे
वोट का जो काम नहीं था ।

कुछ तो लोग कहेंगे... ...
(मजदूरों के आने से फैल रहा वायरस)
तुम मजदूर हो मजदूर की मौत मरो,
बिहार आने का क्या काम था।
ना बाप दादाओ की खानदानी
जमीन-जायदाद है,
ईमानदारी से कमा कर,
चार रोटी खाने जो आदत था।
मुझे भी बिहार से बाहर जाने
का कोई शौक नहीं था,
चलो खैर कोई बात नहीं...
मैं तो मर गया मजदूर की मौत,
बस एक बात ईमानदारी से दिल पर
हाथ रख कर बोल देना,
जितना बिहार तुम्हारा था,
 क्या थोड़ा सा भी हक
 बिहार पर मेरा नहीं था।

 लोकतंत्र ( वोट देने का अधिकार ) में
 जितनी भागीदारी तुम्हारी थी
 उतना तो हमारा भी था।
 अब हिंदू या मुस्लिम और धर्म
 खतरे में नहीं था,
 क्योंकि भाई वह मजदूर था।
                ✍️मदन मुरारी मोहन
                      पूर्णियाँ (बिहार)

💞 Sahitya Aajkal 💞
         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
        7562026066
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