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हिंदी जन जन की भाषा है
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जो पावन पुण्य समर्पण है, भावों का जिसने अर्पण है।
जिसमे हैं रचे पुराण सभी, पितरों का जिसमे तर्पण है।
जो जीवन सार बताती है, जो सपने सभी सजाती है।
जो मानवता का दर्पण है वो ही हिंदी कहलाती है।
जिसमें भावों की अभिव्यक्ति, जिसमें है देवों की भक्ति।
जिसमें सब मंत्रोच्चार करे, जिससे मिलती सबको शक्ति।
जिसमे वेद पुराण रचे जो जन जन के जीवन में सजे।
जिसमे गॅंगा की धर बहे, राधा मीरा का प्यार बहे।
जन जन की अभिलाषा है, निहित हृदय का आशा है।
जो रिश्तों का श्रृॅंगार करे जो अपनों का मनुहार करे।
सुंदर जग का परिपाटी है, पावन धरती की माटी है।
जिसमे श्री राम कन्हैया है, कौशल्या याशुमती मैया है।
जहाॅं गौं को माॅं ही पुकारा है, गॅंगा की अमृत धारा है।
हिंदी वाणी है ऋषियों की, जन जन ने इसे संवारा है।
ये अति पुरातन भाषा है, देवों ने इसे तराशा है।
देवों की वाणी निहित है, सच्चे हृदय की आशा है।
हर भाव समाहित है इसमें, ये सबको बड़ा लुभाती है।
जो प्यार भरे सबके हृदय, भाषा हिंदी कहलाती है।
मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश
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