शीर्षक– पैगाम दो
कोई कील बन सताए, हथौड़ा ठोक दो
बन कटार दुश्मन के सीने में भोंक दो।
ये देश है वीर जवानों का मस्तानों का
है आग सीने में, दुश्मन को झोंक दो।।
न देख सकें दुश्मन की आंखे इस ओर
ऐसा मचा दो दुश्मन के दिलों में शोर।
ये देश है वीर जवानों का मस्तानों का
कलेजे की धड़कन, सांसें भी रोक दो।।
दुश्मन के हर वार का जवाब हम देंगे
आएगा जो इस पार खदेड़ हम देंगे
ये वादा है वीर जवानों का मस्तानों का
रक्षा का भार हमारे कंधों पर डाल दो।।
जान से भी प्यारी है मेरी भारत माता
सब कुछ वार दूं ये है मेरी माता
ये देश है वीर जवानों का मस्तानों का
भारत देश हमारा है सबको पैगाम दो।।
महेन्द्र "अटकलपच्चू" ललितपुर (उ. प्र.)
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