ये जो कुछ अपनी कहानी है,
बस कलम की मेहरबानी है ।
वैसे तो कृपा मां सरस्वती की है ,
पर कागजों पर अपनी निशानी है ।
जीना तो सबके लिए यहां है,
लिखना तो बस दिल की निगहबानी है,
मरना है अगर रिवाज यहां तो,
जीना भी यही की निशानी है ।
बस कुछ जज्बात है ,
जिन्हें दिल के पन्नों पे सजानी है।
कहानी बस यही दिल की है,
शब्दों के आधार की हुई गुमनामी है।
ये जो कुछ अपनी कहानी है,
बस कलम की मेहरबानी है।
✍️ माधुरी कुमारी
(कटिहार)
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