*मैं राधा बन जाऊँ*
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कृष्ण कृष्ण कहते कहते
मैं राधा बन जाऊँ।
वृंदावन सी गोपी बनूँ मै
प्रेम अधर बंशी बन जाऊँ,
मोह नही मुझे प्रेम में बांधो
कि तुम धड़कन और मैं हृदय बन जाऊँ।
कृष्ण कृष्ण कहते कहते
मैं राधा बन जाऊँ।।
ध्यान धरूँ और रसपान करूँ
तेरे चरणों की रज बन जाऊँ,
ऐसा महकू ऐसा महकू
कि मैं तो मधुबन बन जाऊँ,
कृष्ण कृष्ण कहते कहते
मैं राधा बन जाऊँ।
बरस बरस के हृदय पूँज बनूँ
कि होके दिवानी नाचूँ गाऊँ,
मुझको अपना मीत बना लो
मैं कोरक से हीरा बन जाऊँ,
कृष्ण कृष्ण कहते कहते
मैं राधा बन जाऊँ।
उषा श्रीवास(भदौरा)
जिला-बिलासपुर( छ०ग०)
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