#आत्मनिर्भरता:- राशदादा राश
पारिवारिक,सामाजिक,राष्ट्रीय,चिंता,चिंतन,अध्ययन,मनन एवं समाधान मानवीय गुण हैं।
समस्याएँ मूलक हैं,जीव के जड़ों के साथ ही,ये भी उत्पन्न हो जातीं हैं।हमारा इनसे बच पाना असंभव है। परन्तु हम समाधान की दिशा में कार्यरत रहते हैं, ये मानव जीवन की सार्थकता है। अकर्मण्यता मृत्यु है।अपनी समस्याओं के निदान की खोज,मुझे ही करनी है। कोई बैसाखी काम नहीं आती।
बैसाखी की खोज,एक मृगतृषा , मृगतृष्णा, मृग मरीचिका ही है। हम बिना समय व्यर्थ किए,अपने उद्देश्य की ओर कठिन तप की तरह स्वीकार कर बढ़ चलें, निश्चित समाधान निकल आएगा और राहें प्रशस्त हो जाएंगी । #समय_और_उम्र से ना हारें,ये #दो_भूत हमें डराने का कोई प्रयास नहीं छोडते।
हमारी आत्मिक शक्ति ही अणु ,प्रवाह,प्रकाश है,जीवित रखें।आत्मशक्ति के बीज से आत्मनिर्भरता को उगाना एवं उसे अपने कर्तव्य-सिंचन से स्वयं के भाग्य को पल्लवित एवं पुष्पित करना ही,एक मात्र साधना एवं साध्य है।
राशदादा राश जीनाचाहताहूँमरनेकेबाद
दार्शनिक/पागल/फकीर
चिंतक/क्रांतिविचारक
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