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10/12/21

मैं वक्त हूं:- आलोक रंजन

 मैं वक्त हूं:- आलोक रंजन


*मैं वक्त हूं*

समस्याओं के झुंड में, दुख दर्द के कुंड में,

चुपचाप खड़ा ना रह, ऐसे पड़ा ना रह, 

सच-झूठ से बनी दुनिया है न झुका के माथ चल, 

बड़े दिनों बाद दिखा, मैं वक्त हूं मेरे साथ चल। 


कभी ऊपर नीचे कभी दाएं बाएं,

आमने सामने देखता कि तुम चल पाए।

जब गिर गिर के चलना सीखा बचपन में,

तब क्यों फंस जाता है बार बार उलझन में। 

यहां कोई न तेरा खुद को मान नाथ चल,

बड़े दिनों बाद दिखा मैं वक्त हूं मेरे साथ चल। 


रो मत सोचो कि मैं राजकुमार होता,

मेरे सामने सब पातें साथ खोता,

माना कच्चा है सही होगा कहीं, सही है पाथ चल,

बड़े दिनों बाद दिखा मैं वक्त हूं मेरे साथ चल।

-आलोक रंजन

कैमूर (बिहार)

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