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5/7/20

आ भी जाओ- By:- कुमार सौंदर्य

आ भी जाओ:- कुमार सौंदर्य


Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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शीर्षक:- आ भी जाओ:- कुमार सौंदर्य

   शहर की गलियां,
   सूनी हो गई क्योंकि,
   कोरोना खूनी हो गई।।

   वह जिसे शहरी होने का दंभ था,
   सभ्यता संस्कृति भूल कर,
   हो चले थे आधुनिक,
   आज वह ग्रामीण संस्कृति को ही,
   जीवनाधार मानने लगा है।।

   नदियों की कलकल धारा,
   खगों का कलरव,
   पारिस्थितिकी संतुलन,
   अलबेला मौसम,
   प्राकृतिक वातानुकूलित कक्ष की,
   दीवारें उसे बुलाती हैं- गांव,
   वही गांव जहां उसका बचपन बीता था,
   जहां की धूल- धूसरित सड़कों पर,
   लोट -लोट कर भारत माता के,
   स्नेहिल स्पर्श का एहसास किया था।।
   हां, भाई आओ...आ भी जाओ,
   अपनों के साथ रहो,
   और तुम्हारी जीवनसंगिनी,
   जो भूल चुकी थी अपनी रीति -रिवाज,
   पश्चिमी वेशभूषा ने जिसे अर्धनग्न कर दिया था,
   उससे साड़ी पहनने की,
   इजाजत है यहां और उसका
   घुंघट ही बनेगा मास्क।।

   वह और तुम्हारी संतान,
   समझेगी रिश्तो के समीकरण को,
   जिसे भूल कर तुम वैयक्तिक हो गए थे।।

   जेठ जी और ससुर से सीखेगी,
   "सोशल डिस्टेंसिंग"
   जिसका पालन कर वह,
   'नारी' होने का अर्थ भी,
   समझेगी और... ...
   भी बहुत कुछ।।
                 ✍️  कुमार सौंदर्य
                भवानीपुर पूर्णियाँ (बिहार )
   
  
             संपादक (Sahitya Aajkal)
             हरे कृष्ण प्रकाश 
             पूर्णियाँ, बिहार
             7562026066

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