-: शीर्षक :- गुरुवर
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हाथ थमा कलम व कॉपी,
जिसने बढ़ाया मेरा मान,
ऐसे श्रधेय गुरुवर को,
हमसब करें सदा ही प्रणाम।।
उंगली पकड़ चलना सिखाया,
जिसने हमें दिलाया अक्षर ज्ञान,
ऐसे प्रथम गुरु मात पिता को,
हमसब करें सदा ही प्रणाम।।
अपने गुण से गुणवान बना कर,
जिसने हमें सिखाया संघर्ष ज्ञान,
ऐसे तमाम गुरुजनों को,
हमसब करें सदा ही प्रणाम।।
सभ्यता संस्कृति से अवगत करा
जिसने दिया हमें सुमार्ग ज्ञान
ऐसे तमाम गुरुजनों को,
हमसब करें सदा ही प्रणाम।।
ऐसे तमाम गुरुजनों को,
बारंबार हम करें प्रणाम।।
स्वरचित व मौलिक
- हरे कृष्ण प्रकाश
( पूर्णियां, बिहार )
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