शिक्षक वह जो करें मार्ग प्रशस्त:- डॉ. सत्यनारायण चौधरी "सत्या"
शिक्षक - गुरु
शिक्षक वह जो करें मार्ग प्रशस्त।
जिसके सीख से अज्ञान हो अस्त।
जीवन को मिलता नव संगीत।
वही सद्चरित और उन्नति का मीत।
गुरु ही तो होता है खेवनहार।
वही पार लगाए अपनी पतवार।
गुरु दीये सा खुद ही जलता।
खुद जलकर अँधियारा हरता।
गुरु का ज्ञान मिले जो हम को।
सफल बना दे जीवन को।
गुरु ही मिलाये गोविंद को।
कर दो न्यौछावर तन मन को।
जिससे सीख मिले वह शिक्षक।
वही हमारा है जीवन रक्षक।
कोरे कागद का वह चित्रकार।
वही गीली मिट्टी का कुम्भकार।
गुरु संदीपन की कृपा से
कान्हा से श्रीकृष्ण कहलाये।
गुरु वशिष्ठ की शिक्षा पाकर,
भगवान राम भी मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाये
जो है हमारा पथप्रदर्शक।
वही गुरु है, वही है शिक्षक।
गुरु की महिमा का न कोई पार।
उसके बिन अधूरा जीवन संसार।
गुरु की गरिमा के आगे,
मैं लघु मानव क्या-क्या बोलू।
मेरे पास नहीं है शब्द ऐसे,
जिन पर उसकी महिमा तौलू।
रवि-शशि भी लगते लघुतर।
ऐसे होते हैं हमारे गुरुवर।
सदा जो आशीष मिले गुरु से।
कोई भी कार्य फिर नहीं रहें अधूरे।
ऐसे गुरु को साष्टांग दण्डवत प्रणाम।
उसी में बसते सारे तीर्थ, उसी में हैं सारे धाम।।
✍️डॉ. सत्यनारायण चौधरी "सत्या"
जयपुर, राजस्थान
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