शीर्षक_शिव स्तुति
शिव की महिमा का है चमत्कार।
उन्होंने बनाया बहुत बड़ा संसार।
ये हैं अग्र गण्य त्रिपुरारी।
ये तांडव नृत्य करते हैं भयहारी।
इनकी डमरू बोलती डम_डम_डम।
इनके भक्त नाचते छम_छम_छम।
भोला खाते भांग _धतूरा।
ये कल्याण करते पूरा_पूरा।
इनको भाते हैं अकोन, कनेर, धतूरा के फूल।
जो उनकी पूजा के लिए है मूल।
औ ढ़ र दानी का नाम है त्रिनयन।
इनका नाम गूंजता है क ण_2।
जिनके गला में शोभता रुद्राक्ष व सर्प हार।
शंकर क्रोधित हो करते संहार।
शंकर के सर पर शोभता है चंद्रमा।
ये हमारे हैं सुन्दर परमात्मा।
महादेव को चढ़ता गंगा जल।
सदियों से आज और कल।
जिन्हें भाता बिल्व पत्र।
जिनकी महिमा है सर्वत्र।
भोला की जटा में रहती जल की धार।
ये हैं संसार के सृजन हार।
ये हैं सृष्टि के लिए उपहार।
ये भक्तों को देते प्यार।
ये हैं देवों के देव महादेव।
ये हैं हम लोगों के आराध्य देव।
शिव भक्तों पर खुश होकर,
काल दर्शी कहलाते हैं।
भक्त खुशी होकर उन्हें,
प्रियदर्शी भगवन कह जाते हैं।
दुर्गेश मोहन
चक वेदौ लिया
समस्तीपुर
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