साहित्य आजकल चमकने लगा है:- गिरिजा नन्द मिश्र
साहित्य आजकल पर ही आपने कविता लिख कर हमें और हमारी टीम को आनंदित कर दिया सर। सच कहूं तो वर्षों से देशभर के हजारों रचनाकारों का साहित्यक सेवा किया हूँ पर आजतक किसी ने इसतरह साहित्य आजकल के लिए नही लिखा है। आपने इतना स्नेह दिया इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार 💕🙏
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साहित्य आजकल
चमकने लगा है।
निखार ऐसा देखो,
दमकने लगा है।
नहीं जरूरत
प्रचार प्रसार की।
चन्दन रजनीगंधा सा,
महकने लगा है।।
हवा के झोंके संग,
सुवास क्षितिज के
पार जा रही है।
कोई माने या न माने,
गीत गौरव गा रहा है।।
रचना कविता गीत,
एक से बढ़ कर एक।
सच कहते हरिकृष्ण,
मन को लुभा रहा है।।
स्नेह के मोती,
प्रेम की माला,
बस यूं गूंथ चल।
मंजिल दूर नहीं,
मिलनी तय है,
आज नहीं तो कल।।
✍️ गिरिजा नन्द मिश्र
पूर्णिया बिहार
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