लाइव एपिसोड (23 ) : तेरे मेरे दिल की बात
व्यक्ति,समाज और साहित्य में एक जबरदस्त बदलाव के रूप में उभरें हैं ई-पत्र पत्रिकाएँ और पुस्तकें : सिद्धेश्वर
पटना! 07/05/ 2023 l "ई पत्र पत्रिकाएं और पुस्तकों के आने के बाद, नए से नए रचनाकार भी आसानी से, अपनी श्रेष्ठ सामग्री आम जन तक पहुंचाने में सक्षम हो गए है, जिस पर कभी मुट्ठी भर लोगों का प्रभाव बना रहता था और बहुत सारी अच्छी सामग्रियां आम पाठकों से दूर रह जातीं थीं l ई पत्र-पत्रिका या पुस्तकों के प्रचार-प्रसार को हम एक आंदोलन के रूप में भी देख सकते हैं, जिसने व्यक्ति समाज और साहित्य में एक जबरदस्त बदलाव लाने का प्रयास किया है और कर रहा है l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर कवि कथाकार सिद्धेश्वर ने ऑनलाइन तेरे मेरे दिल की बात एपिसोड (23 ) में उपरोक्त उद्गार व्यक्त किये l उनकी यह चर्चा साहित्यिक,सांस्कृतिक एवं सामाजिक संदर्भों से जुड़ी हुई होती है l एक घंटे के इस लाइव एपिसोड के भाग :23 में " ई पत्रिकाओं का अस्तित्व!" के संदर्भ में उन्होंने विस्तार से आगे कहा कि -क्योंकि इंटरनेट जितना देखने में सुखदायक होता है, उतनी ही दृष्टि के लिए शब्दों को ढूंढ ढूंढ कर पढ़ना आंखों के लिए तकलीफदेह भी है l कुछ समय तो ई पत्र-पत्रिकाओं या पुस्तकों को पढ़ने के लिए लैपटॉप या मोबाइल पर बिताया जा सकता है l किंतु लंबी अवधि के लिए वह हमारी आंखों के लिए भी नुकसानदेह साबित होता है l बूढ़े तो बूढ़े, जवान लोगों की आंखें कमजोर होने लगीं हैं l
यदि हम इसे थोड़ी देर के लिए देखें पढ़ें और इससे जुड़े रहे तो, मुझे नहीं लगता कि ई पत्र पत्रिका या पुस्तकों से अधिक उपयोगी और भी कोई माध्यम हो सकता है l बस जरूरत है अपने ऊपर आत्म संयम की और उसका सदुपयोग करने की l
तेरे मेरे दिल की बात " एपिसोड ( 23):में सिद्धेश्वर के व्यक्त किए गए विचार पर राज प्रिया रानी ने कहा कि-ई पत्रिका का अस्तित्व आज विस्तृत और बेहद किफायती बनता जा रहा है। मुफ्त में जानकारियां उपलब्ध कराने का जरिया ,जिसे कभी किसी भी परिस्थिति में खोल कर पढ़ा जा सकता है एक दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं और सबसे अहम बात यह है की त्वरित संदेश प्रेषण के लिए यह जरिया विशेष महत्व रखता है। वक्त के साथ इसकी महत्ता भी बढ़ती जा रही है। ई पत्र पत्रिकाएं अपना अहम स्थान बना चुकी है जिसे हम सोशल मीडिया का आधुनिक कदम मान सकते हैं। जिसका अस्तित्व लाभप्रद एवं प्रभावशाली हो चुका है।
🔷 विजय कुमारी मौर्य विजय ( लखनऊ ) ने कहा कि - ई -पत्र-पत्रिकाओं का महत्व बढ़ गया है क्योंकि इसका माध्यम सिनेमा, मोबाइल, टीवी, वीडियो स्लाइडिंग , इंटरनेट सोशल वेबसाइट है, जो आज के समय में युवा वर्ग को बहुत लुभाता है l घर के प्रिंटेड पेपर को सिवाय बुजुर्गों के,कोई और पढ़ना पसंद नहीं करता l इसीलिए ई पत्र पत्रिकाएं आज के आधुनिक समय की मांग है --" एक टाइम रोटी नहीं मोबाइल चाहिए हमको इंटरनेट की आंखें इस्माइल चाहिए!"
डॉ अनुज प्रभात ने कहा कि आज के सोशल मीडिया के युग में प्रिंट मीडिया से कहीं अधिक व्यापक हो गया है - सोशल मीडिया के अधीन ई पत्र पत्रिकाएं l इसे खरीदने के लिए ना तो बुक स्टाल पर जाने की जरूरत पड़ती है ना ही राशि चुकानी होती है l सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज के कारण बड़े बूढ़ों के लिए भी ये -ई अखबार ,पत्रिकाएं समय बिताने का साधन हो गयीं हैं! हमारे जीवन का आवश्यक अंग बन गयीं हैं!
सपना चंद्रा ने कहा मुद्रित पत्रिका जिनमें लेखक की रचना होती है..उसे वह संपत्ति की तरह ही सुरक्षित रखता है। जहाँ तक ई पत्रिका की बात है..उसका भी अपना एक वर्ग है।.
नलिनी श्रीवास्तव नील ने कहा कि -आज के प्रगतिशील देश में ई-पत्र-पत्रिकाओं का अस्तित्व बहुत महत्व रखता है । सभी की रुचि समाचार ,पत्र- पत्रिका, पुस्तक, मैगेज़ीन आदि को अब मोबाइल, टीवी या स्लाइड्स आदि पर देखने में बहुत बढ़ी है । और हो भी क्यों न …. दुनिया की सारी जानकारी प्रारम्भ से, वर्तमान व भविष्य के गर्भ की तमाम बातें इन पर उपलब्ध रहती हैं । शिक्षा, स्वास्थ्य, धार्मिक, सांस्कृतिक , व्यावसायिक और साहित्य जैसे अनेक क्षेत्रों से सम्बन्धित अपार ज्ञानवर्धक बातें ई पत्र पत्रिकाओं के द्वारा समाज में लोगों तक आसानी से पहुँच रही हैं । मोबाइल व कम्प्यूटर तो युवाओं के लिए चलती फिरती लाइब्रेरी है l, मेरे विचार से बच्चे, युवा, बुज़ुर्ग, स्त्री पुरुष सभी ई पत्र पत्रिकाओं से भरपूर लाभ उठा रहे हैं और अपने जीवन की जटिलताओं को कम कर रहे हैं । अत : यदि इसका सदुपयोग किया जाए तो ये हमारे जीवन में वरदान की तरह है ।
डॉ शरद नारायण खरे (म प्र )ने कहा कि - इनके अतिरिक्त माधवी जैन रजनी श्रीवास्तव अंतरा ", पुष्प रंजन , एकलव्य केसरी, सुधा पांडे, ,राजेंद्र राज,सपना चंद्रा, संतोष मालवीय, प्रियंका श्रीवास्तव शुभ्र,चैतन्य किरण, शैलेंद्र सिंह, संतोष मालवीय,सुनील कुमार उपाध्याय,नीलम श्रीवास्तव आदि विचारकों ने भी अपने विचार रखे l
♦️🔷 प्रस्तुति ' राज प्रिया रानी ( उपाध्यक्ष ) / सिद्धेश्वर ( अध्यक्ष ) भारतीय युवा साहित्यकार परिषद
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हरे कृष्ण प्रकाश ( युवा कवि)
(संस्थापक- साहित्य आजकल, साहित्य संसार)