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10/11/21

सांस टिकी है अब आश पर:- हरे कृष्ण प्रकाश

 -: हरियाली :- हरे कृष्ण प्रकाश


-: हरियाली :- हरे कृष्ण प्रकाश

     चारों ओर देख हरियाली,

     कहो कैसी लगी ओ भाई,

     मन प्रफुल्लित हो जाता है,

     देख वसुंधरा की हरियाली।।


     आधुनिकता के इस दौर में,

     मानव कितने हो गए बेदर्दी,

     सुख-सुविधाओं की खातिर,

     मिटा रहा जग से हरियाली।


     अपना गांव हो या हो शहर,

     पेड़ों पर  टूट  रहा  है कहर,

     मन मेरा चिंतित हो जाता है

     घटते देख धरा की हरियाली।।


     सांस टिकी है अब आश पर,

     कहो कैसे  बचोगे  मेरे  भाई,

     देर हुई पर अब भी देर नहीं,

     खोज तरकीब बचा हरियाली।।


       ✍️ © हरे कृष्ण प्रकाश

             (युवा कवि - पूर्णियाँ, बिहार )


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