बड़े हर्ष के साथ सूचित कर रहा हूँ कि लोकप्रिय साहित्यिक मंच साहित्य आजकल के द्वारा *"आपकी रचना-आपकी पहचान"* कार्यक्रम आयोजित की गई है। इस कार्यक्रम के निमित्त आ0 हीरालाल गुरुजी "समय" जी की रचना प्रेषित है। आप सभी अवश्य पढ़ें व टिपण्णी दें।
मित्रता (लघु कथा)
धीरज अपने मां बाप का इकलौता लड़का था। उनके पिता सुशील का चना, मुरमुरा, फल्ली, बिस्कुट, चॉक्लेट की दुकान थी। वह गांव-गांव जाकर साप्ताहिक हाट बाजार में दुकान लगाता और जो बिक्री होती उसी से अपने परिवार का पालन पोषण करता। धीरज की माता त्रिवेणी यथा नाम तथा गुण वाली महिला थी। घर परिवार के साथ साथ पति के कार्य में सहयोग करती थी। अगले दिन के लिए चना, मुरमुरा को फोड़ना व पैकेट बनाना, फल्ली का पैकेट बनाना ये सब कार्य उसके हिस्से में था। वैसे उनका ही एक दुकान हाट बाजार में नहीं होता था। शहर से भी लोग कई किस्म की चीजें बेचने के लिए लाते थे। परन्तु ग्रामीण परिवेश में उसकी दुकान बहुत ही प्रतिष्ठित थी।
धीरज प्रारंभ से ही होनहार छात्र था। शिक्षक उनकी बुद्धिमत्ता और गुणों की तारीफ हमेंशा करते थे। पहली कक्षा से 9 वीं तक हर कक्षा में प्रथम रहा। वह हमेशा अपने सहपाठियों की भी पढ़ाई में मदद करता था। उसका एक सहपाठी मित्र था खिलेन्द्र प्रताप। वैसे तो उसके पास किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। घर से धन धान्य से भरपूर था। पिता गांव के सरपंच थे, चाचा पुलिस में नौकरी करते थे, बड़े पिताजी बैंक में अधिकारी थे, चाची एक शिक्षिका थी। पूरा परिवार शिक्षित था, मकान भी बहुत बड़ा था, उनके घर ट्रैक्टर, कार, दो मोटरसाइकिल था।उसके खुद के लिए भी दो साइकिल थी।आंगन भी इतना बड़ा था कि पूरे गांव की पंगत एक साथ लग जाती थी। केवल खिलेन्द्र प्रताप में एक कमी थी कि वह पढ़ाई में कमजोर था और धैर्यहीन था। इसलिए उसने धीरज से मित्रता कर ली। जब भी स्कूल का कोई गृहकार्य मिलता वह धीरज के घर चला जाता। धीरज भी उसकी मदद के लिए जैसे हमेशा तैयार ही रहता। उसकी पूरी सहायता करता।
इस बार दोनों की बोर्ड परीक्षा थी। स्कूल खुले दो महीना भी नहीं हुआ था और न ही ठीक ढंग से पढ़ाई शुरु हुई थी कि पूरे देश में कोरोना नामक महामारी फैल गई। सैकड़ो हजारो लोग मरने लगे।सरकार ने लोगों के घरों से निकलने पर पाबंदी लगा दी। स्कूल कालेज सब बंद हो गये। उसने गांव-गांव, शहर-शहर की सभी दुकानें और हाट बाजार को बंद करा दिया। यहां तक कि गांव में भी एक घर से दूसरे घर जाना प्रतिबंधित कर दिया। पन्द्रह दिन, महीने, तीन महीने बीत गये। लोगों का घर में दम घुटने लगा। तीन महिने बाद केवल गाँव के कृषि, फल, किराना, सब्जी, दूध आदि संबंधी छूट मिली।किन्तु स्कूल, कालेज, साप्ताहिक हाट बाजार में किसी प्रकार की छूट नहीं थी वे अब भी बंद थे। सरकार किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
इधर धीरज का धैर्य खोने लगा था बोर्ड की पढ़ाई व तैयारी बिना शिक्षक के नहीं हो सकती थी। सरकार ने बच्चों की पढ़ाई पर असर न पड़े इसलिए आनलाईन कक्षा चलाने सरकारी आदेश निकाल दिया। धीरज के पास मोबाइल नहीं होने से उसके लिए इस पढ़ाई के कोई मायने नहीं थे। चार पांच माह से बाजार हाट बंद होने से उसके घर की आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं थी कि नया मोबाइल खरीद सके। सरकार ने महामारी को देखते हुए दिए गये छूट को पन्द्रह दिन में पुन: वापस ले लिया।अब फिर से गांव व शहर में घरों से निकलना प्रतिबंधित कर दिया।
एक दिन खिलेंद्र प्रताप छुपते छुपाते धीरज के घर मोबाइल लेकर के आया और ऑनलाइन में आए हुए प्रश्नों को दिखाया तथा उत्तर लिखकर और पन्द्रह दिन में भेजने को कहा। धीरज एकलव्य की भांति पढ़ाई कर रहा था। उसने जितना बन सकता था ढूंढ ढूंढकर उतर लिखकर जमा कर दिया। खिलेन्द्र प्रताप के पास मोबाइल होने से वह उत्तर उसी से ढूढ ढूढकर लिख लिया करता था। ऐसे ही अब हर माह खिलेंद्र प्रताप मोबाइल में आए प्रश्नो को दिखाने अपने मित्र के पास आ कर अपनी मित्रता धर्म निभाता था।
धीरज के पाँच वर्षों की सहायता का प्रतिफल इस पाँच महीने में उसे अपने मित्र द्वारा इस प्रकार मिलेगा यह कल्पना नहीं की थी। वह हर बार अपनी मित्रता निभाने आता। सरकार ने इस बार बोर्ड की वार्षिक परीक्षा को इसी प्रकार मासिक परीक्षा के माध्यम से दिये उत्तरों के आंकलन से दिये जाने वाले अंको के आधार पर परिणाम घोषित करने का निर्णय लिया। परीक्षा का परिणाम आया तो इस बार चौकाने वाला था। इस बार खिलेंद्र प्रताप को कक्षा के साथ साथ ब्लाक में भी प्रथम स्थान मिला था। धीरज अपने मित्र की सहायता से प्रथम श्रेणीं से उत्तीर्ण हो गया। उनके कई गरीब साथी जिनके पास मोबाइल नहीं था वे परीक्षा से वंचित रह गये।
नये शिक्षा सत्र में स्कूल खुलने पर धीरज ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस बार ब्लॉक में प्रथम आने के लिए खिलेंद्र प्रताप का अभिनंदन समारोह का आयोजन किया व अपनी सहायता के लिए व एक वर्ष खराब होने से बचाने के लिए धन्यवाद दिया व मित्रता धर्म निभाया।
हीरालाल गुरुजी "समय"
छुरा, जिला-गरियाबंद
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस व्हाट्सएप नंबर 7562026066 पर मैसेज कर सम्पर्क करें।
Sahitya Aajkal:- एक लोकप्रिय साहित्यिक मंच 👇💞 Sahitya Aajkal Youtube Channel link plz Subscribe Now ...💞👇Sahitya Aajkal Youtube से जुड़ने के लिए यहाँ click करें
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस Whatsapp न0- 7562026066 पर भेज कर सम्पर्क करें।
कवि सम्मेलन की वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
यदि आप कोई खबर या विज्ञापन देना चाहते हैं तो सम्पर्क करें।
Email:- sahityaaajkal9@gmail.com
Whatsapp:- 7562026066
संस्थापक:- हरे कृष्ण प्रकाश
(पूर्णियां, बिहार)