शीर्षक- लिखना आसान नहीं
लिखने वाले लिखते रहते
अपने दिल की बातें हरदम
पढ़ने वाले उसको पढ़ कर
अर्थ निकाला करते रहते
लिखना बहुत आसान नहीं है।।
चलती राहों में पढ़ना पड़ता
दाएं बाएं कुछ नजर न आता
केवल शब्द दिमाग में चलता
लिखने वाला मन में गाता
लिखना बहुत आसान नहीं है।।
कल्पनाओं में जीना पड़ता
संयम धारण करना पड़ता
नींद को हमें डांटना पड़ता
पहले स्वयं से लड़ना पड़ता
लिखना बहुत आसान नहीं है।।
जब कोई कल्पना दिल करता
दिमाग उसको शब्दों में रखता
लेखक उसको जब लिख देता
गीत गजल कविता बन जाता
लिखना बहुत आसान नहीं है।।
लेखक जब कुछ अच्छा लिखता
लोगों के मन जल्दी ना भाता
कोई जल्दी कविता ना पढ़ता
पड़ता भी तो समझ न पाता
लिखना बहुत आसान नहीं है।।
लेखक के मित्र बहुत होते हैं
लेखक का बल मित्र ही होता
मित्रों पर भी लेखक लिखता
मित्रता को परिभाषित करता
लिखना बहुत आसान नहीं है।।
लेखक की लेखनी प्राण समान
बिना लेखनी ना लेखक चलता
लेखक सब कुछ भूला करता
किंतु लेखनी कभी नहीं भूलता
लिखना बहुत आसान नहीं है।।
कई मोड पर लेखक बेचारा
रुक कर शब्द बटोरा करता
जो शब्द राहों में मिल जाता
शब्दों को मस्तिष्क में रखता
लिखना बहुत आसान नहीं है।।
कोई लेखक साधारण ना होता
दिव्य ज्ञान हर लेखक में होता
मां शारदा का जो आशीष पाता
वही लेखक बन जाया करता
लिखना बहुत आसान नहीं है।।
@स्वरचित रचना
01/09/2022
कवि होरीलाल विनीता
अंतरी रानीगंज प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश 230 301
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