करवा चौथ विशेष
चाँद जल्दी आना
चाँद ! जरा जल्दी से आना देखो आज तुम
आज मेरे यार का मेरे लिये उपवास है
चाहत हूँ उसकी मैं वो भी तो मेरी चाहत है
उसके लिये तुम खास हो मेरे लिये वो खास है
खाया नहीं सुबह से कुछ भी आज उसने देख
पिया नहीं है बूंँद पानी लगी होगी प्यास है
तेरे भीतर ढूँडता है आज वो अपने प्यार को
सच में भीतर मेरे भी तो देख उसका वास है
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सज संवर कर बैठे हैं थाली सजाये आज वो
पहले तुझे देखना फिर मुझे देखने की आस है
देकर अर्घ्य तुझको वो मांगेंगे आयु लम्बी मेरी
वरदान तेरा मिलेगा उनको यह उन्हें विश्वास है
उनकी अवचेतना में चाँद मैं हूँ औ' मैं तुम हो
दोनों ही हैं साथ उनके यह उन्हें आभास है
भूखे प्यासे रह के इतना कौन करता इस तरह
बेचैन हूँ उनके लिये मैं उनका मुझको त्रास है
ऐ चाँद तुझसे आज तक मैंने कुछ भी मांगा नहीं
सुखद जीवन उनका हो प्रार्थना है इक आस है
वो हैं तो मैं भी हूँ वर्ना जीना है मुश्किल मेरा
उनके बिन तो जिन्दगी में सच अधूरा 'निराश' है
सुरेश भारद्वाज निराश
धर्मशाला हिप्र
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