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1/16/25

जातिवाद एक मिथ्या (हिंदी कविता) - Saloni yadav

लोकप्रिय साहित्यिक मंच साहित्य आजकल से आज के अंक में प्रकाशित उत्तरप्रदेश की सलोनी यादव द्वारा समाज को जागृत करती हुई बेहतरीन स्वरचित कविता "जातिवाद एक मिथ्या " पढ़ते हैं और आज के तमाम युवाओं को इन पंक्तियों के भाव को आत्मासात करना चाहिए! इस कविता लिंक को जन जन तक शेयर करना न भूलें।

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    जातिवाद (एक मिथ्या) - Saloni Yadav 

सबको है अपनी ही जाति की शान

समाज में लोग इसी से हैं परेशान 

बड़ा वही जिसके पास है विद्या 

इसीलिये जातिवाद है एक मिथ्या 


ऋग्वेद में जाति निर्धारित होता था कर्म से 

 तब लोग नहीं होते थे विचलित अपने धर्म से 

अब छोड़ दो बड़ा छोटा का भेदभाव 

यही ला सक्ता है एक सक्रात्मक प्रभाव 


आज समाज में जातिवाद ने मचाया है हड़कंप 

लोगो में आपसी दुश्मनी बढ़ेगी जब तक होगा नही इसका अंत 

ऊंच-नीच है एक मासिक अवस्था 

हमें मिलकर ख़त्म करना है ये नकारात्मक व्यवस्था


देश में खुशहाल हर व्यक्ति होगा 

अपना समाज जब जाति बंधन मुक्ति होगा 

बहुतो को डर होता है वर्ण भेद से 

वर्ण परम्परा तो चली आ रही है अथर्ववेद से 

जाति निर्धारन रो क दो वंश के आधार से 


दोस्ती बढ़ाओ तालमेल, व्यवहार और अपने संस्कार से

जातिप्रथा समाप्त करना है तो शुरू करें अंतरजातीय विवाह 

यही सही रास्ता है और यही हैं एक कवयित्री की सलाह 


Name - Saloni yadav 

Schooling - st Xavier's school salempur Deoria 

College - J.S university Shikohabad ( Bse.)

Address - Jamua no. 2 Salempur

 Deoria Uttar Pradesh


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