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4/7/20

सर झुकाने वाले बहुत हैं! By :- हरे कृष्ण प्रकाश


शीर्षक:- सर झुकाने वाले बहुत हैं!


इस खूबसूरत धरा पर,
किसने पांव रखा,
कौन है,  वह कौन है ?
हाँ जनाब, बोलो कौन है ?
सुना हूँ ईश्वर तो, हर देह में बसे हैं,
बाहर सन्नाटा फैला रहा कौन है ?
बाहर सन्नाटा फैला रहा कौन है ?

गांवों में तो खेती होती है,
ये मकई का मौसम है,
खेत पर जाने से, डराने वाला,
कौन है?  वह कौन है ?
जी हुजूर बोलो कौन है ?
सुना है शहरों में लोग रहते हैं,
सड़कों पर भीड़ होती है,
घरों में बंद करने वाला कौन है ?
घरों में बंद करने वाला कौन है ?

इस खूबसूरत धरा पर,
किसने पांव रखा,
कौन है,  वह कौन है ?
हाँ जनाब, बोलो कौन है ?

वक्त के साथ चलना सीखो,
अपने को कभी कभी,
खुद से तुम बदलना सीखो,
हरी भरी है यह धरती,
इसे वीरान करने वाला कौन है ?
इसे वीरान करने वाला कौन है ?
सुना है मन्दिर मस्जिद गिरजाघरों  में,
सर झुकाने वाले बहुत हैं,
झेल रहा तन्हाई का आलम,
यह दिन, दिखलाने वाला कौन है ?
यह दिन, दिखलाने वाला कौन है ?
                   ✍️  हरे कृष्ण प्रकाश
                        (युवा कवि)